एक पेड़ जो पक्षी बनना चाहता था
एक घने जंगल में एक छोटा-सा पेड़ था। वह बाकी पेड़ों से अलग था क्योंकि उसके मन में एक अनोखी इच्छा थी। वह पक्षी बनना चाहता था। रोज़ वह आसमान में उड़ते हुए पक्षियों को देखता और सोचता, “काश, मैं भी उड़ सकता। मैं इन पंखों के साथ आकाश की ऊंचाई छू सकता
“
उसने अपने इस सपने को अपने दोस्तों से साझा किया। पास के पेड़ और जानवर उसकी बात सुनकर हंसते और कहते, “पेड़ उड़ नहीं सकते। तुम्हें अपनी जड़ों से प्यार करना चाहिए। तुम्हारी शाखाएं आसमान छू सकती हैं, यही तुम्हारी ताकत है।” लेकिन छोटे पेड़ का दिल इस बात को मानने को तैयार नहीं था…..
एक दिन, जंगल में एक जादुई परी आई। उसने पेड़ की बात सुनी और मुस्कुराते हुए कहा, “अगर तुम्हारी इच्छा सच्ची है, तो मैं तुम्हें एक दिन के लिए पक्षी बना सकती हूं। लेकिन याद रखना, तुम्हें अपनी जड़ों की अहमियत समझनी होगी
“
पेड़ खुशी से झूम उठा। उसने कहा, “हां, मैं पक्षी बनना चाहता हूं।” परी ने अपनी छड़ी घुमाई, और पेड़ अचानक एक सुंदर पक्षी में बदल गया। अब उसके पंख थे और वह उड़ सकता था।……..
वह हवा में उड़ने लगा, आसमान की ऊंचाई छूने लगा। उसने जंगल के ऊपर से उड़ते हुए हर जगह का नज़ारा देखा। वह बहुत खुश था। लेकिन जैसे-जैसे दिन ढलने लगा, उसे कुछ खालीपन महसूस हुआ। उसे अपने दोस्तों की याद आने लगी। वह सोचने लगा, “मैं उड़ सकता हूं, लेकिन अब मेरी जड़ें कहां हैं? मेरा घर कहां है?”
रात होते ही परी फिर से प्रकट हुई। उसने पूछा, “क्या तुम्हें अपना सपना पूरा करने की खुशी हुई?” पेड़ ने सिर झुकाकर कहा, “हां, लेकिन मैंने महसूस किया कि मेरी जड़ें ही मेरी पहचान हैं। मुझे उड़ने का आनंद मिला, लेकिन मेरे दोस्तों और घर की कमी महसूस हुई।”
परी मुस्कुराई और कहा, “तुमने सही सबक सीखा। हर किसी की अपनी जगह और महत्व होता है।” यह कहते हुए उसने उसे फिर से पेड़ बना दिया।
अब वह पेड़ और भी खुश था। उसने आसमान की ओर देखते हुए कहा, “मैं पेड़ ही ठीक हूं। मेरी जड़ें मुझे स्थिर रखती हैं, और मेरी शाखाएं आसमान छूने के लिए काफी हैं।”
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें अपनी पहचान और जगह का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि हर किसी का एक अनोखा महत्व होता है। The end
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