भिखारी की कहानी

एक छोटे से गांव में एक बूढ़ा भिखारी रहता था। वह हर दिन गांव की गलियों में घूमता और लोगों से भीख मांगता। उसका पहनावा फटा हुआ था, और उसके पास केवल एक पुराना कटोरा था जिसमें वह भीख के पैसे और खाना रखता था।
कहानी का आरंभ
एक दिन, भिखारी गांव के राजा के महल के सामने पहुंचा। उसने सोचा, “अगर राजा मुझे कुछ देगा, तो शायद मैं अपने बाकी जीवन के लिए खुशहाल रह सकूंगा।”
राजा उस समय महल के बाहर आया और भिखारी को देखा। राजा ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम मुझसे क्या चाहते हो?”
भिखारी ने कहा, “हे राजा, मुझे आपकी मदद चाहिए। मेरे पास कुछ भी नहीं है। कृपया मुझे कुछ दें।”
राजा की परीक्षा
राजा ने भिखारी की बात सुनकर कहा, “ठीक है, लेकिन आज मैं तुमसे कुछ मांगना चाहता हूं। जो भी तुम्हारे पास है, वह मुझे दो।”
भिखारी हैरान रह गया। उसने सोचा, “मेरे पास देने के लिए क्या है? मैं तो खुद दूसरों पर निर्भर हूं।”
भिखारी ने झिझकते हुए अपने कटोरे से एक चावल का दाना निकाला और राजा को दिया। राजा ने उसे लिया और मुस्कुराते हुए अपने महल में चला गया। भिखारी बहुत नाराज़ और उदास हो गया।
असली पाठ
जब भिखारी ने रात को अपना कटोरा खाली किया, तो उसने देखा कि उसके कटोरे में एक चावल का दाना सोने का बन गया था। वह यह देखकर हैरान रह गया और उसे तुरंत एहसास हुआ कि अगर उसने राजा को सब कुछ दे दिया होता, तो उसका पूरा कटोरा सोने से भर जाता।
शिक्षा:
यह कहानी हमें सिखाती है कि देने का साहस रखना चाहिए। जब हम दूसरों को खुशी और मदद देते हैं, तो बदले में हमें उससे कहीं अधिक प्राप्त होता है। लालच और डर हमें अपने सच्चे अवसरों से वंचित कर देते हैं! Thanks you